सूत्रों के अनुसार ग्रांड मास्टर शिफूजी शौर्य भारद्वाज ने झूठे और निराधार आरोप लगाने वाले सभी लोगों और ७-८ बड़े-बड़े मीडिया ग्रूप्स पर किया मानहानि का दावा ,आइए विस्तार से आरोपों का विश्लेषण करें।
पिछले 22 सालों को शामिल करने वाला संपूर्ण खुलासा।“ग्रैंडमास्टर शिफूजी शौर्य भारद्वाज का खुलासा, सेना में होने का नाटक करने वाला धोखेबाज़ ढोंगी या महान देशभक्त? विस्तृत डिजिटल कानूनी विश्लेषण, और मास्टर शिफूजी शौर्य भारद्वाज के ख़िलाफ़ की गयी मुंबई पुलिस F.I.R./शिकायत की वर्तमान स्थिति (शिकायत संख्या: 69954)। रक्षा मंत्रालय, भारतीय गृह मंत्रालय में की गयीं दर्ज़नों शिकायतें?
नई दिल्ली, भारत (दिनांक- 18 मार्च २०२१) ग्रैंडमास्टर शिफूजी शौर्य भारद्वाज मुख्य रूप से अपने साहसी राष्ट्रवादी, स्पष्ट प्रकल्पित अराजनैतिक टिप्पणियों के लिए हमेशा ख़बरों में रहते हैं। उन्हें अपने वीडियो और जन-सामूहिक भाषणों के माध्यम से सच्ची देशभक्ति फैलाने के लिए जाना जाता है। दुनिया भर के आतंकवाद से मुक़ाबले, जवाबी-कार्यवाही के विशेषज्ञ और दिग्गज उनका बहुत आदर-सम्मान करते हैं, लेकिन भारत में उन्हें क्यों बदनाम किया जा रहा है। साल 2021 के पहले दिन से उनकी न्यूज़ कवरेज और विवाद फिर से बाज़ार में वापस आ गए हैं। इसीलिए, यह हमारी टीम के लिए शोध, अवलोकन, और विस्तृत विश्लेषण का मामला बन गया। ग्रैंडमास्टर शिफूजी को कभी-कभी ऑनलाइन हिंसा के साथ निराधार रूप से, बहुत सारी कटु टिप्पणियों के साथ लगातार वायरल, ट्रोल किया जा रहा है, और उनसे नफ़रत की जा रही है।
ग्रांडमास्टरशिफूजीशौर्यभारद्वाजको भारतीय सेना के _डिविज़न के जनरल साहब और अधिकारियों द्वारा सम्मानित किया गया निः शुल्क मिट्टी सिस्टम प्रशिक्षण के लिए स्पष्ट किया जा सकता है (आप स्मृति चिन्ह के नीचे पढ़ने के लिए ज़ूम कर सकते हैं)
क्या ग्रैंडमास्टर शिफूजी शौर्य भारद्वाज ने कभी भी सेना का अधिकारी, सशस्त्र बलों का कर्मचारी, विशेष बलों का कमांडो, वॉर हीरो, पूर्व सैनिक या ऐसा कुछ भी होने का दावा किया है? पिछले22 सालों के रिकॉर्ड के सबसे विस्तृत शोध, विश्लेषणऔर डिजिटल परीक्षण से इस बात की पुष्टि होती है कि ग्रैंडमास्टर शिफूजी ने कभी ऐसा नहीं कहा कि वह सेना के अधिकारी हैं, और न ही उन्होंने कभी भी सशस्त्र बलोंया विशेष बलोंमें किसी भी पद पर नियुक्त होने या कोई भी पद रखने का दावा किया है। उन्हें नकली, फ़र्ज़ी और धोखेबाज़ साबित करने का यह झूठा आरोप स्थापित करने के लिए एक भी ऑनलाइन और ऑफलाइन साक्ष्य मौजूद नहीं है। उनके फॉलोवरों और आलोचकों ने एक समान रूप से उन्हें सेना का अधिकारी समझा है। हालाँकि, उन्होंने हमेशा यह कहा कि उन्होंने अपनी मिट्टी सिस्टम (MITTI system)की प्रशिक्षण सेवाएं एलीट स्पेशल फ़ॉर्सेज़ के विशेष बलों, भारतीय सशस्त्र बलों, अर्धसैनिक बलों, राज्य पुलिस और प्रवर्तन संस्थाओं को प्रदान की हैं। उन्होंने फ्रीलांस कमांडोज मेंटर, फ्रीलांस कमांडो ट्रेनर के रूप में २२ वर्षों के अपने लंबे करियर के दौरान पूरी तरह से “मुफ़्त” प्रशिक्षण सेवाएं प्रदान की हैं, कई विशेषीकृत सैन्य इकाइयों को प्रशिक्षित किया है, और सशस्त्र बलों और राज्य-स्तरीय बलों दोनों के लिए अनुकूलित निकट सशस्त्र मुठभेड़ (Armed close Quarter Battle )और आवश्यकता पर आधारित रणनीतिक प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
क्या शिफूजी एक ढोंगी, धोखेबाज़ हैं? जैसा कि वायरल न्यूज़ में बताया गया है?
सवाल– क्या ग्रैंडमास्टर शिफूजी शौर्य भारद्वाज ढोंगी, फ़र्ज़ी धोखेबाज़ हैं या सचमुच कमांडोज मेंटॉर हैं?
क्राइम ब्रैंचेज़ की क्लोज़र रिपोर्ट के अनुसार आरोप बनाम सच्चाई –
उनके ऊपर नियमित रूप से मरून रंग की टोपी, मार्कोस बैज और बलिदान के प्रतीक के साथ सेना की पोशाक पहनने का आरोप लगता है, प्रशंसक और आलोचक एक समान रूप से उन्हें अक्सर सेना के अधिकारी के रूप में संबोधित करते हैं, विशेष सैन्य बलों और सशस्त्र बलों के लिए उनके फ्रीलांस मेंटर और फ्रीलांस कमांडो प्रशिक्षक होने के प्रमाणपत्रों पर सवाल उठाया गया है। कुछ साम्यवादी और वामपंथी नेतृत्व वाले मीडिया हाउस और कुछ संदिग्ध राष्ट्र-विरोधी तत्व उनकी देशभक्ति पर सवाल उठाते हैं और यहाँ तक कि उनकी इतनी हिम्मत भी हो जाती है कि वो उनसे युवा सशक्तिकरण , महिला सशक्तिकरण, और राष्ट्र के लिए उनके योगदान के बारे में सवाल करते हैं।
ग्रैंडमास्टर शिफूजी की तथाकथित फर्जी सेना की वर्दी का मुद्दा क्या है?
मास्टर शिफूजी अप्रत्यक्ष रूप से सशस्त्र बलों के लिए काम करने वाले किसी भी अन्य निजी सामरिक युद्ध पेशेवर की तरह कपड़े पहनते हैं, अनुशासन और अच्छी सेहत रखते हैं, और उन्हें गवर्न्मंट यूनफ़ॉर्म कोड और फैशन के बीचे के फ़र्क़ की ख़ास समझ है; एक फ्रीलांस कमांडो प्रशिक्षक होने के नाते, ये उनके पेशे का हिस्सा हैं। उनपर मरून टोपी पहनने का, मार्कोस और बलिदान के प्रतीक लगाने का आरोप है। टोपी और प्रतीक रैंक और राष्ट्र के प्रति आदर्श सेवा की स्वीकृति के समानार्थी हैं। साथ ही, सभी भारतीय कानूनों के अनुसार, फ़्रीलैन्स प्रशिक्षण सत्र के दौरान किसी मेंटर, प्रशिक्षक द्वारा कॉम्बैट , स्टाइलिश चितकबरे रंग के पैंट और किसी भी रंग की गोल चपटी टोपी पहनने पर कानूनी रूप से कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। मास्टर शिफूजी द्वारा पहनी जाने वाली पोशाक पूरी तरह से उनकी पसंद,(customised) और व्यक्तिगत अनुशासन पर आधारित है। विस्तृत शोध के अनुसार, ग्रैंडमास्टर शिफूजी अपनी मरून टोपी पर अपने ट्रेडमार्क किये गए प्रतीक पहनते हैं, जिन्हें ट्रेडमार्क्स अधिनियम 1999 के अंतर्गत एक दशक पहले पंजीकृत किया गया था। ग्रैंडमास्टर शिफूजी का एक कॉपीराइट किया गया कपड़ों का स्टाइल है और ये सभी टैक्टिकल कपड़े उनके ख़ुद के ब्राण्ड “जय हिंद ब्रो” के कापीरायट्स हैं, कार्गो के सबसे स्टाइलिश अनुकूलित customised मरीन सील्स के पैटर्न के पेंट और क्रांतिकारियों के उभरे हुए चेहरों वाली ब्रांडेड टी-शर्ट्स को शामिल करती हैं। वो प्रीमियम मरीन पैटर्न वाले अनुकूलित बूट पहनते हैं; और उनका चश्मा “मास्टर शिफूजी के जय हिन्द ब्रो” के आरक्षित ब्रांड का होता है।
अंतिम जांच से पता चला कि शिफूजी की मरून टोपी कुछ विशेष वर्ग के विशेष बलों की टोपी की तरह डिज़ाइन की गयी है। शिफूजी जो टोपी पहनते हैं उस पर भारतीय सशस्त्र बलों, भारतीय विशेष बलों या भारत सरकार का कोई भी प्रतीक मौजूद नहीं है। इसके अलावा, उनके ऊपर बलिदान बैज पहनने का भी आरोप लगाया गया है, यह सच नहीं है! ध्यान रखें कि शिफूजी द्वारा पहना जाने वाला बैज दुनिया के एक दूसरे हिस्से (भारत नहीं) ब्रिटिश SAS के सैन्य रैंकों और लड़ाकों के बैजों के पैटर्न से मिलता-जुलता है, और ऑनलाइन हज़ारों पॉर्टल्ज़ पर १० रुपए में सबके लिए उपलब्ध है, इस बैज को किसी प्रतिबंध के बिना किसी के भी द्वारा पहना जा सकता है। वो इसे चितकबरे टी-शर्ट पर प्रिंट करवाकर पहनते हैं जो भारतीय सशस्त्र बलों का प्रिंट नहीं है और न ही इस पर भारतीय विशेष बलों का कोई निशान मौजूद है। मास्टर शिफूजी शौर्य भारद्वाज द्वारा पहने जाने वाले बैज पर मार्कोस बैज होने का आरोप लगाया गया था। फिर भी, उन्होंने कभी सेना, भारतीय नेवी की पूरी पोशाक नहीं पहनी या यहाँ तक कि शिफूजी जो जैकेट पहनते हैं उसपर भी महान क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह का कटआउट स्टीकर लगा है, जो भारतीय सशस्त्र बलों का प्रोटोकॉल नहीं है। मार्कोस का बिल्ला कैसे लगाया? इस प्रश्न का उत्तर सामान्य है, मार्कोस का insignia क़ानून के अनुसार वैसा ही है जैसे कि कोई भी भारत का तिरंगा पिन पहन सकता है, उसी प्रकार इस मार्कोस बेज,निशान पर कोई भी क़ानूनी प्रतिबंध नहीं है, जब तक की इसे(यूनफ़ॉर्म)वर्दी के साथ न पेहना जाए । मास्टर शिफूजी ने मार्कोस (Marcos) के बेज (insignia) को अपने प्राइवट जैकेट पर बायीं तरफ़ लगाया था न कि किसी वर्दी पर। जिन लोगों ने मास्टर शिफूजी के ख़िलाफ़ इतनी बड़ी साज़िश रची, यदि वह असल में सेनाओं की वर्दी के, चिन्हों के दुरुपयोग के ख़िलाफ़ हैं तो जो स्पेशल फ़ॉर्सेज़, आर्मी कॉम्बैट त शर्ट्स, बैजेज़ लाखों की संख्या में आज ऑनलाइन और बाज़ारों में बिक रहे हैं उन पर रोक लगाने के लिए क्यों नहीं इतनी बड़ी मुहिम चलायी ?
क्या शिफूजी राष्ट्र के लिए खतरा हैं, या फिर वो भारत के हर राष्ट्र-विरोधी और गद्दार के लिए खतरा बन गए हैं? यह विवाद दोबारा क्यों उभरकर सामने आया है?
- कुछ मीडिया हाउसों, न्यूज़ पोर्टलों के इस तरह के लेखों की वजह से?
- क्या उन्होंने जानबूझकर इस इंसान को नीचा दिखाने के लिए ऐसे लेखों के शीर्षकों को इतना आकर्षक रखा है? या उनका खुलासा करने के लिए सच में उनकी ज़रुरत थी?
- फ़ैसला करने के लिए कृपया उन्हें ध्यान से पढ़ें; उनके शीर्षक कुछ इस तरह थे i) ग्रैंडमास्टर शिफूजी शौर्य भारद्वाज के ख़िलाफ़ F.I.R. दर्ज़। ii) सेना के मुख्यालयों द्वारा नकली सैनिक फ़र्ज़ी फ़ौजी ग्रैंडमास्टर शिफूजी की विश्वसनीयता की जांच की जाएगी। iii) मिशन साहसी, मिशन प्रहार की महिला ट्रेनिंग कैम्प का चीफ ट्रेनर शिफूजी सेना का ढोंगी है, iv) धोखेबाज़ शिफूजी ने सेना का आदमी होने का ढोंग करके भारतियों को मूर्ख बनाया v) रक्षा मंत्रालय की R.T.I. प्रतिक्रियाएं ग्रैंडमास्टर शिफूजी शौर्य भारद्वाज का पर्दाफाश करती हैं। vi) नकली सैनिक शिफूजी ने मासूम भावुक भारतियों को उल्लू बनाया। शिफूजी ढोंगी है, फ़र्ज़ी है, नकली धोखेबाज़ सैनिक, ग्रैंडमास्टर शिफूजी धोखेबाज़ है, शिफूजी का पर्दाफाश, ग्रैंडमास्टर शिफूजी नकली सैनिक है जिसने कइयों को उल्लू बनाया है , जैसे हैशटैग और टाइटल टैग के साथ इन्हें प्रकाशित किया गया और लाखों बार फैलाया गया :-
विश्लेषण – इन लेखों की सामग्रियां संदिग्ध हैं और पहले कानूनी विश्लेषण में एक-तरफ़ा प्रतीत होती हैं। ऊपर उल्लेखित ज़्यादातर लेख निम्नलिखित स्रोतों से ली गयी सामग्री और जानकारियां शामिल करते हैं –
1- पहला – भारतीय नेवी के एकमात्र सिंगल R.T.I. का जवाब (भारतीय वायु सेना और भारतीय सेना से कोई जवाब नहीं)।
विश्लेषण और चिंता का अज्ञात सत्य –
- शिकायत करने वालों ने भारतीय वायु सेना और सेना के R.T.I. जवाबों को क्यों नहीं उजागर किया?
- स्रोत बताते हैं कि ग्रैंडमास्टर शिफूजी की कानूनी टीम भारतीय नेवी के जवाब को चुनौती दे रही है क्योंकि वो प्रशिक्षण से जुड़ी जानकारी का खुलासा करते हैं, जो RTI अधिनियम 2005 के धारा 8 के अंतर्गत आती है और विशेष बलों स्पेशल फ़ॉर्सेज़ के प्रशिक्षण मॉड्यूल और हर जानकारी की गोपनीयता बनाये रखने के लिए प्रतिबंधित है।
संदेह – क्या आवेदक को कानून के विरुद्ध जाकर जवाब दिया गया था? क्या यह जानकारी राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, 1923 का हिस्सा नहीं थी? क्या अदालत प्रभारी अधिकारी के ख़िलाफ़ फैसला सुनाएगी?
R.T.I. विशेषज्ञ की राय: उस विशेष R.T.I. में भारतीय नेवी ने ग्रैंडमास्टर शिफूजी के बारे में गुमराह करने वाले आधारहीन सवालों का जवाब दिया था। 99.9% मामलों में, R.T.I. की धारा 8 के तहत आने वाले ऐसे किसी भी R.T.I. को अस्वीकार कर दिया जाता है।
2- दूसरा – साल 2016-17 में एक लड़की और उसके दोस्त की भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों या दिल्ली मुख्यालयों में (PRO) की गयी लिखित शिकायत के आधार पर।
दावे का स्रोत – भारतीय न्यूज़ पोर्टल का एक लेख – तिथि – 9 मई, मंगलवार, 2017। समाचार का लेख –
इस लड़की और उसके दोस्त ने ग्रैंडमास्टर शिफूजी शौर्य भारद्वाज के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज़ की थी।
विश्लेषण और चिंता का अज्ञात सत्य –
1. क्या भारत के हर लड़के-लड़की को इतनी जल्दी भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलने की अनुमति मिल जाती है? अगर हाँ तो इसी विषय पर उनका साक्षात्कार लेने के लिए हमें भी उनके अपॉइंटमेंट की ज़रुरत होगी। अगर नहीं तो यह बैठक किसने आयोजित की थी और किस आधार पर इन युवाओं को इतनी अटेंशन और मंजूरी मिली थी।
संदेह – 1- ये दोनों शिकायतकर्ता भारतीय विशेष बलों के प्रशिक्षण विवरणों और भारतीय सशस्त्र बलों के फ्रीलांस सहायता प्रदाताओं फ़्रीलैन्स प्रशिक्षकों को लेकर इतना चिंतित क्यों थे?
2- उड़ी हमले के बाद ही प्रशिक्षण से जुड़ी इतनी छानबीन क्यों हो रही थी, ख़ासकर तब जब ग्रैंडमास्टर शिफूजी ने अपने वायरल वीडियो में गद्दारों के गैंग और वामपंथी उग्रवादियों पर निशाना साधा था।
शिकायतकर्ताओं के बारे में अप्रकाशित अज्ञात तथ्य –
- 7 मई, 2018 को सभी सात कमांड को लिखे गए सेना के इंटेलिजेंस के पत्र के आधार पर उस महिला बाइकर को अब प्रतिबंधित कर दिया गया है, यह वही महिला है जिसने २०१६-१७ मैं अलग अलग सेनाओं के विभागों में जाकर ग्रैंडमास्टर शिफूजी के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज करायी थी।
- जानकारी का स्रोत – 19 मई, 2018 को इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित लेख।
लेख का शीर्षक – सेना के इंटेलिजेंस ने गुजरात की छात्रा पर चेतावनी जारी की।
- कई यूट्यूब वीडियो में ग्रैंडमास्टर शिफूजी के ख़िलाफ़ शिकायत करने वाले लड़के का पर्दाफाश किया गया है,
- गलत जानकारी फैलाने के लिए भी शिकायतकर्ता का खुलासा हुआ था।
- उसके ऊपर शराब पर प्रतिबंध लगाने वाले राज्य में शराब के सेवन का भी संदेह है,
- सोशल मीडिया के माध्यम से गुमराह करने की कोशिश,
- वह अपनी शिकायत के ख़िलाफ़ 2016 में ख़ुद मुंबई पुलिस द्वारा प्रदान किए किये गए क्लोज़र रपोर्ट के तथ्यों को छिपा रहा था।
- उसने कभी भी रक्षा मंत्रालय और गृह मंत्रालय से प्राप्त क्लोज़र रिपोर्ट से जुड़े तथ्यों और जवाबों के बारे में नहीं बताया।
- मुंबई पुलिस के केस बंद करने के बाद, उसने दूसरे शिकायतकर्ताओं को काम पर लगाया और मुंबई के JV मार्ग पुलिस स्टेशन में ऐसी ही नकली शिकायत दर्ज़ की।
- उसने 2016 के अक्टूबर-नवंबर में अपनी दर्ज़ की गयी शिकायत संख्या 69954 की स्थिति के बारे में कोई जानकारी नहीं दी।
3- तीन – 13/12/2016 को उत्तर प्रदेश के एक व्यक्ति द्वारा मुंबई, महाराष्ट्र के पुलिस कमिश्नर को भेजे गए शिकायती पत्र के आधार पर।
दावे का स्रोत – इस व्यक्ति ने 2016 के दिसंबर महीने में सोशल मीडिया पर एक शिकायती पत्र संचारित (publish & Viral)किया था।
संदेह – 1. इस व्यक्ति ने केवल मास्टर शिफूजी के ख़िलाफ़ ही मुंबई पुलिस कमिश्नर को सीधे विशेष पत्र क्यों लिखा?
2. उसने दूसरे प्रसिद्ध प्रशिक्षकों के ख़िलाफ़ कितने पत्र लिखे, जो गोपनीय प्रशिक्षण की तस्वीरें और वीडियो ऑनलाइन पोस्ट करते हैं और सशस्त्र बलों से लाखों रुपये लेते हैं; उसने कोई और चीज़ क्यों प्रसारित नहीं की?
3. इसी व्यक्ति ने मास्टर शिफूजी के परिवार की निजता और सुरक्षा के मूलभूत अधिकार के बारे कभी कोई परवाह क्यों नहीं की?
4. उसने ग्रैंडमास्टर शिफूजी के निवास स्थान के पते का ज़िक्र करने वाला शिकायत पत्र क्यों प्रसारित किया?
5. केवल शिफूजी शौर्य भारद्वाज ही इस व्यक्ति के लिए राष्ट्रीय ख़तरा क्यों बने और भारत के बड़े-बड़े अपराधी और मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादी नहीं?
6. इस व्यक्ति ने कभी भी मुंबई पुलिस का जवाब और क्लोज़र रिपोर्ट क्यों नहीं शेयर की, जो ग्रैंडमास्टर शिफूजी के ऊपर विस्तृत छानबीन करने के बाद भेजी गयी थी? उसने ग्रैंडमास्टर शिफूजी को दिए गए क्लीन चिट के बारे में लोगों को सूचना क्यों नहीं दी?
विश्लेषण और चिंता का अज्ञात सत्य और
शिकायतकर्ता के बारे में अप्रकाशित अज्ञात तथ्य?
ग्रांड मास्टर शिफूजी के ख़िलाफ़ शिकायतकर्ता व्यक्ति समाजवादी पार्टी का सदस्य है, जिसने समाजवादी पार्टी की तरफ से चुनाव लड़ा और बुरी तरह से हार गया।
1. अपने से एक अधिकारी होने का दावा करने वाले इस व्यक्ति ने किसी N.G.O. फेडरेशन के नाम पर पत्र लिखा था। कोई (F.I.R. नहीं) की थी।
2. सेवारत अधिकारी के रूप में पत्र लिखा था कोई आधिकारिक क्षमता पर नहीं।
3. ग्रैंडमास्टर शिफूजी के ख़िलाफ़ शिकायत करने के लिए इस व्यक्ति को सेना द्वारा अधिकृत और निर्धारित नहीं किया गया था ।
4. उसने अपने आपको N.G.O. के अध्यक्ष के रूप में बताकर एक आम नागरिक के रूप में पत्र लिखा था।
5. महत्वपूर्ण जानकारी का उल्लेख किये बिना पत्र में उसका रैंक और नाम दिया गया था, और यह भी नहीं बताया गया था कि वो सेना से सेवामुक्त हो चुका है या अभी भी सेवारत है।
6. कुछ विशेष कानूनों के तहत अनिवार्य होने के बावजूद, उसके नाम में Retd शब्द का कोई उल्लेख नहीं था।
7. उसके पत्र के शीर्षक पर छपा हुआ प्रतीक, ख़ुद भारतीय राष्ट्रीय प्रतीक अधिनियम के ख़िलाफ़ है, और उसके N.G.O. का लोगो पुणे के खडकवासला में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के प्रतीक की नक़ल है।
8. N.G.O. की कोई पंजीकरण संख्या नहीं दी गयी है, भारतीय कानून के अनुसार जिसका उल्लेख होना अनिवार्य है।
9. उसने यह शिकायत पत्र 13 दिसंबर, 2016 को लिखा था, लेकिन आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, शिकायत संख्या 69954, 12/08/16 को बंद हो गयी थी (जैसा कि मुंबई पुलिस ने अपनी क्लोज़र रिपोर्ट में उल्लेख किया है)।
इससे किसी को क्या समझना चाहिए? इस पत्र को क्यों संचारित किया गया जबकि यह बात सार्वजनिक हो चुकी थी कि शिकायत का निपटारा कर दिया गया है और इस मामले में F.I.R. नहीं हो सकती?
10. क्या किसी ज़िम्मेदार नागरिक से ऐसे आचरण की उम्मीद की जाती है? क्या शिकायतकर्ता ने अपने राजनीतिक लाभ और फ़ेमस होने के लिए यह हथकंडा अपनाया था? हमें इस व्यक्ति का कोई सत्यापित (Verified)सोशल मीडिया अकाउंट खाता नहीं मिला। अब, उसे क्या कहा जाना चाहिए?
11. ऐसे तथा-कथित महान जागरूक मुखबिर के लिए अंतिम बिंदु।
अपनी शिकायत लिखने के लिए इस व्यक्ति ने अपने पूर्व-सैनिक के लेखन पेड का इस्तेमाल क्यों किया है। मान लीजिये, इस व्यक्ति के पास कोई साक्ष्य मौजूद है तो फिर जांच से पहले उसने ख़ुद को पेश क्यों नहीं किया। इस देश में, सबके पास राष्ट्र के निर्माण में सहायता प्रदान करने का अधिकार है और यह उनका उत्तरदायित्व भी है। भारतीय सशस्त्र बल किसी की निजी संपत्ति नहीं है। यह पूरे देश और इसके नागरिकों के लिए है। ग्रैंडमास्टर शिफूजी को भी उनकी सहायता करने का अधिकार है, चाहे उन्हें ऐसा करने के लिए आमंत्रित किया गया हो या चाहे वो अपनी इच्छा से ऐसा करें, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
इससे लोगों को क्या तकलीफ है? इससे केवल उन लोगों को समस्या है जो प्रशिक्षण की आड़ में वर्कशॉप से पैसे कमा रहे थे और अब उन्हें ख़तरा महसूस हो रहा था क्योंकि ग्रैंडमास्टर शिफूजी द्वारा इसे “मुफ़्त” प्रदान किया जा रहा था, इसलिए उन्होंने सोचा कि गलत प्रचार करके इसे कैसे रोका और प्रभावित किया जाए। चूँकि, कुछ राजनीतिक कार्यकारी और अवसरवादी इसी इंतज़ार में थे, इसलिए उनकी बदनामी करना उनके लिए सबसे अच्छी योजना थी। किसी सेना के कर्मचारी से ज़्यादा अच्छा तरीका और क्या होता। अपनी योजना पूरी करने के लिए, शुरुआत में उन्होंने सबको यह दिखाने की कोशिश की कि शिफूजी पूर्व-सेना कर्मचारी हैं और इसके बाद उन्होंने शिफूजी को ख़ुद ही नकली घोषित कर दिया और इसके लिए उनके पहनावे का फ़ायदा उठाया। मास्टर शिफूजी के करोड़ों युवा प्रशंसक हैं, और इसकी वजह से उनकी बदनामी होने में भी ज़्यादा समय नहीं लगा। किसी के पास भी इस हंगामे का कोई साक्ष्य नहीं है, लेकिन जैसा कि आप हमारे सोशल मीडिया से वाकिफ़ हैं। इसकी शुरुआत के बाद, लोगों ने इसमें हिस्सा लेना शुरू कर दिया। हालाँकि, ग्रैंडमास्टर शिफूजी ने कभी ऐसे ट्रोल्स पर ध्यान नहीं दिया। यह भी सच है कि जहाँ कहीं भी वो विज़िट के लिए जाते थे तो ये लोग उन जगहों पर कॉल करने लगते थे। जहाँ तक इन सबके लिए ग्रैंडमास्टर शिफूजी की प्रतिक्रिया की बात है, उन्होंने कभी इसपर ध्यान नहीं दिया और न लगता है कि कभी वो इसपर आगे कभी ध्यान देंगे।
चलिए नकली और धोखेबाज़ी जैसे शब्दों का मतलब समझते हैं।
नकली का अर्थ है – कोई ऐसी चीज़ जो शुद्ध नहीं होती; जालसाजी या ढोंग”
जवाब – ग्रैंडमास्टर शिफूजी बिल्कुल असली फ्रीलांस कमांडो मेंटॉर प्रशिक्षक हैं और कहीं से भी नकली नहीं हैं, इस विस्तृत जांच में उनके ख़िलाफ़ किसी भी अवैध या गैरकानूनी काम का एक भी सबूत नहीं मिला है।
धोखेबाज़ी का अर्थ है – आर्थिक या निजी लाभ के लिए ग़लत या आपराधिक छल।”
जवाब: 2016-17 में ग्रैंडमास्टर शिफूजी के ख़िलाफ़ लगभग 50 शिकायतें दर्ज़ की गयी थीं और राज्य के क्राइम ब्रांच और केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा की गयी पेशेवर विस्तृत पूछताछ के बाद उन सबको खारिज़ कर दिया गया है।
सवाल – 2015-16 तक ग्रैंडमास्टर शिफूजी के ख़िलाफ़ कितनी शिकायतें और F.I.R. दर्ज़ की गयी थीं? वर्तमान में, मास्टर शिफूजी के ख़िलाफ़ शिकायतों, F.I.R. की स्थिति क्या है?
1- अक्टूबर-दिसंबर 2016 को मुंबई पुलिस कमिश्नर से की गयी एक सीधी शिकायत –
वर्तमान स्थिति: 12/08/2016 को बंद। शिकायतकर्ता के पास आधिकारिक जवाब भेज दिया गया था, जो उसने कभी हमारे साथ शेयर नहीं किया और हम सबको गुमराह किया।
2- अहमदाबाद के क्राइम ब्रांच में दो शिकायतें।
वर्तमान स्थिति: गुजरात पुलिस क्राइम ब्रांच द्वारा विस्तृत छानबीन के बाद 30 दिन के अंदर शिकायत बंद कर दी गयी थी।
3- गृह मंत्रालय में 17 शिकायतें।
वर्तमान स्थिति: बंद, विस्तृत जांच की गयी थी। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, सबसे उच्च जांच एजेंसियों ने ग्रैंडमास्टर शिफूजी की जांच की थी और उनकी प्रशंसा करते हुए एक संतोषजनक रिपोर्ट पेश की थी।
4- रक्षा मंत्रालय में 20-25 शिकायतें।
सभी बंद, नहीं तो 4 साल में शिफूजी को कबका गिरफ़्तार कर लिया गया होता। पड़ताल के बाद सभी शिकायतें बंद कर दी गयी थीं। उसके सभी साक्ष्य यहाँ संलग्न हैं –
यह फ़ैसला करना आपकी समझ पर निर्भर है कि इस मामले में कौन सही है। क्या आप इन तथा-कथित न्यूज़ पोर्टलों के “खुलासा” वाले हथकंडे में विश्वास करना चाहेंगे, जो मास्टर शिफूजी के ख़िलाफ़ गुमराह करने वाले पुराने लेखों के साथ इस विवाद से पैसे कमाना चाहते हैं?
या
क्या आप राज्य पुलिस के क्राइम ब्रांच, रक्षा मंत्रालय ,केंद्रीय सरकार की जांच एजेंसियों और सेना की खुफिया एजेंसियों जैसी जांच एजेंसियों और प्राधिकरणों क्लोज़र पर विश्वास करना चाहेंगे?
हमारे इस पोर्टल के सभी पत्रकार ग्रैंडमास्टर शिफूजी शौर्य भारद्वाज की सच्चाई पर भरोसा करते हैं, जो वास्तव में Counter Terrorism जवाबी-कार्यवाही, आतंकवाद से मुक़ाबला और (Armed Urban Warfare)शहरी सशस्त्र मुठभेड़ की दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण फ्रीलांस कमांडो मेंटॉर प्रशिक्षकों में से एक हैं। स्वीकृतियों और खोज रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्हें “विश्व का सर्वश्रेष्ठ कमांडो मेंटर” और “विश्व का सर्वश्रेष्ठ कमांडो प्रशिक्षक” माना जाता है। यहाँ तक की जनवरी में लंदन पोस्ट के प्रथम पन्ने पर आए लेख में ग्रांड मास्टर शिफूजी शौर्य भारद्वाज को दुनिया का सबसे ख़तरनाक जीवित लेजेंड (The Deadliest Man Alive In The World) के नाम से उल्लेखित किया गया है.
ग्रैंडमास्टर शिफूजी शौर्य भारद्वाज मुख्य रूप से अपने साहसी राष्ट्रवादी, स्पष्ट प्रकल्पित अराजनैतिक टिप्पणियों के लिए हमेशा ख़बरों में रहते हैं। उन्हें अपने वीडियो और जन-सामूहिक भाषणों के माध्यम से सच्ची देशभक्ति फैलाने के लिए जाना जाता है। दुनिया भर के आतंकवाद से मुक़ाबले, जवाबी-कार्यवाही के विशेषज्ञ और दिग्गज उनका बहुत आदर-सम्मान करते हैं, लेकिन भारत में उन्हें क्यों बदनाम किया जा रहा है। साल 2021 के पहले दिन से उनकी न्यूज़ कवरेज और विवाद फिर से बाज़ार में वापस आ गए हैं। इसीलिए, यह हमारी टीम के लिए शोध, अवलोकन, और विस्तृत विश्लेषण का मामला बन गया। ग्रैंडमास्टर शिफूजी को कभी-कभी ऑनलाइन हिंसा के साथ निराधार रूप से, बहुत सारी कटु टिप्पणियों के साथ लगातार वायरल, ट्रोल किया जा रहा है, और उनसे नफ़रत की जा रही है।
ग्रैंडमास्टर शिफूजी शौर्य भारद्वाज की असली सच्चाई क्या है?
पुलिस द्वारा सत्यापित भारतीय युवा को 5 करोड़ रोजगार-आधारित नियोजनीय कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान करने के लिए ग्रैंडमास्टर शिफूजी की हालिया परियोजना मिशन प्रचंड भारत शौर्य कंपनी है। उनके अन्य प्रसिद्ध मिशनों में मेरी मिट्टी, मिशन प्रचंड भारत शौर्य, मिशन अनिवार्य सैन्य प्रशिक्षण, मिशन मुज़फ़्फ़राबाद, मिशन शहादत सम्मान, मिशन जय हिंदी ब्रो, मिशन भारत मठ, मिशन वैदिक सैन्य स्कूल, और मिशन मिट्टी बूट कैंप शामिल हैं।
(मिशन मेरी मिट्टी और मिशन प्रचंड भारत के उदबोधन के बाद का द्रश्य स्थान देहरादून, उत्तराखंड)
(ग्रांड मास्टर शिफूजी शौर्य भारद्वाज जी के “मिशन मेरी मिट्टी” कार्यक्रमों का द्रश्य, इंदौर, मध्य प्रदेश, बाँसवारा,राजस्थान, जयपुर राजस्थान)
(ग्रांड मास्टर शिफूजी शौर्य भारद्वाज जी का आगमन मिशन मेरी मिट्टी कार्यक्रम में, जयपुर, राजस्थान )
(ग्रांड मास्टर शिफूजी शौर्य भारद्वाज जी का मिशन प्रहार ट्रेनिंग, चिमन बाग़ मैदान, इंदौर, सन २००९)
(ग्रांड मास्टर शिफूजी शौर्य भारद्वाज जी का मिशन प्रहार ट्रेनिंग, क़ाज़ी कैम्प पूने, महाराष्ट्र, सन २००३-०४)
(GRANDMASTER SHIFUJI’S REGISTERED TRADEMARKS UNDER TRADEMARK ACT 1999 OF INDIA).
(PhD certificate of Grandmaster Shifuji Shaurya Bhardwaj, Terrorism and Counter Insurgency, Urban Armed Combat)
Proof of Claims regarding Logo Registration, Logo Trademarks of Grandmaster Shifuji Shaurya Bhardwaj.
(Graduation certification course certificate of Israel, Counter Terrorism, Counter Insurgency, Urban Combat, For Grandmaster Shifuji )
) ( Image- Grandmaster Shifuji Shaurya Bhardwaj, Inventor of Mitti System, Founder- Mission Prahar, Mission Prachand Bharat, Sass9, Mission Meri Mitti, Mission Jai Hind Bro )
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